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October 15, 2024 3:21 am

IAS Coaching

अस्‍पताल में भर्ती होने पर नहीं खर्च करना पड़ेगा पैसा! घंटेभर में होगा इलाज का इंतजाम, 1 अगस्‍त से लागू होगी सुविधा

हाइलाइट्स

करीब 42 फीसदी पॉलिसीहोल्‍डर्स को इलाज के बाद क्‍लेम पाने में दिक्‍कत हुई. इसी बात को गंभीरता से लेते हुए बीमा नियामक इरडा यह निर्देश जारी किया है. बीमा कंपनियों से बीमाधारकों का 100 फीसदी कैशलेश इलाज करने को कहा है.

नई दिल्‍ली. बीमा पॉलिसी बेचते समय तो कंपनियां बड़े-बड़े वादे और दावे करती हैं, लेकिन क्‍लेम के समय नया-नया बहाना खोजना शुरू कर देती हैं. खासकर हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के मामले में ज्‍यादा दिक्‍कत आती है. यह खुलासा हाल में हुए एक सर्वे में हुआ था, जिसमें कहा गया कि करीब 42 फीसदी पॉलिसीहोल्‍डर्स को इलाज के बाद क्‍लेम पाने में दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा. 42 फीसदी का आंकड़ा काफी ज्‍यादा होता है और इसी बात को गंभीरता से लेते हुए बीमा नियामक इरडा (IRDAI) ने कंपनियों की नकेल कस दी है.

इरडा ने मास्‍टर प्‍लान जारी कर बीमा कंपनियों से दो टूक कहा है कि इस काम में देरी नहीं होनी चाहिए और हर हाल में 31 जुलाई तक सुविधा लागू कर दी जाए. ऐसे में माना जा रहा है कि 1 अगस्‍त, 2024 से सभी हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी होल्‍डर्स को इसकी सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी. कैशलेस क्‍लेम का मतलब है कि इलाज का पूरा खर्चा बीमा कंपनी उठाएगी, जैसा कि पॉलिसी के नियमों में लिखा होगा. अभी बहुत से केस में कंपनियां बाद में रीम्‍बर्स करने के लिए कहती हैं, जिससे पॉलिसीधारक को अनावश्‍यक कागजी कार्यवाही में उलझना पड़ता है और क्‍लेम में देरी होती है.

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हर अस्‍पताल में बनेगी हेल्‍प डेस्‍क
बीमा नियामक इरडा ने कंपनियों से कहा है कि अपने सर्किल वाले सभी अस्‍पतालों में फिजिकल तौर पर एक हेल्‍प डेस्‍क बनाएं, जहां बीमाधारकों को तत्‍काल मदद की सुविधा हो. बीमा नियामक का कहना है कि सभी कंपनियों को अब 100 फीसदी क्‍लेम कैशलेस ही देना पड़ेगा. इसकी सारी प्रक्रिया 3 घंटे के भीतर खत्‍म करनी होगी. अगर इससे ज्‍यादा समय लगता है और अस्‍पताल की ओर से कोई एक्‍स्‍ट्रा चार्ज लिया जाता है तो इसकी भरपाई बीमा कंपनी को करनी होगी.

इलाज शुरू होने से पहले मिलेगी स्‍वीकृति
इरडा ने अपने मास्‍टर सर्कुलर में कहा है कि बीमा कंपनियां सभी इंश्‍योरेंस होल्‍डर को प्री-ऑथराइजेशन अप्रूव्‍ड करके देंगी. इसके लिए 1 घंटे का समय दिया गया है. इसका मतलब है कि जैसे ही कोई इलाज के लिए अस्‍पताल में पहुंचेगा तो अस्‍पताल की ओर से बीमा कंपनी को एक मसौदा बनाकर भेजा जाता है, जो बीमाधारक के इलाज पर आने वाले खर्च का अनुमानित आंकड़ा होता है. इसमें अस्‍पताल की ओर से पूछा जाता है कि क्‍या बीमा कंपनी संबंधित व्‍यक्ति के इलाज का खर्च उठाने के लिए तैयार है.

डिस्‍चार्ज करने का समय भी तय
इरडा ने कंपनियों से दो टूक कह दिया है कि अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज करने के लिए बीमा कंपनियां पैसे की वजह से देरी नहीं कर सकती हैं. डिस्‍चार्ज के लिए 3 घंटे के भीतर कंपनी को फाइनल अप्रूवल देना होगा. अगर किसी मामले में पॉलिसी धारक की मौत हो जाती है तो बीमा कंपनी को तत्‍काल क्‍लेम सेटलमेंट करना होगा और अस्‍पताल में शव को रोका नहीं जाएगा.

क्‍या कहती है बीमा कंपनी
हेल्‍थ इंश्‍योरेंस देने वाली प्रमुख कंपनी बजाज आलियांज के हेल्‍थ एडमिनिस्‍ट्रेशन टीम के हेड भास्‍कर नेरुरकर का कहना है कि ज्‍यादातर कंपनियां पहले से ही प्री-ऑथराइजेशन का समय 30 मिनट से 1 घंटे में उपलब्‍ध करा देती हैं. इरडा के इस कदम से बीमा कंपनी और बीमा धारक दोनों को फायदा होगा और अनावश्‍यक विवादों से बचेंगे. उपभोक्‍ताओं को भी चाहिए कि वे क्‍लेम को जल्‍दी सेटलमेंट के लिए सभी उपयुक्‍त दस्‍तावेज उपलब्‍ध करा दें, ताकि कंपनी को भी आसानी हो.

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