धर्म। पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से नहीं होता है, जबकि यह आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से शुरु होता है. इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू है या 18 सितंबर से? इस बारे में जानते हैं ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय और काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से। पितृ पक्ष का समापन 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा।
पितृ पक्ष का प्रारंभ आज यानि 17 सितंबर मंगलवार से हो रहा है या फिर कल 18 सितंबर बुधवार से? यह सवाल काफी लोगों के मन में है क्योंकि सबसे बड़ी उलझन तिथि के कारण हो रही है। कई जगहों पर बताया गया है कि 17 सितंबर से पितृ पक्ष पक्ष शुरू हो रहा है क्योंकि भाद्रपद माह की पूर्णिमा की श्राद्ध तिथि आज है। लेकिन कई जगहों पर यह कहा जा रहा है कि पितृ पक्ष का प्रारंभ आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है, इसलिए इसकी शुरूआत कल 18 सितंबर से होगी। लोगों के कन्फ्यूजन को दूर कर रहे हैं।
17 नहीं, 18 सितंबर से शुरू है पितृ पक्ष 2024
ज्योतिषाचार्य राकेश पांडेय का कहना है कि पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से नहीं होता है। फिर आज तो भाद्रपद का पूर्णिमा व्रत है। आज से पितृ पक्ष कैसे शुरू होगा? यह वही बात है कि शिशु का जन्म हुआ ही नहीं और उसके लिए मुंडन की तैयारी हो गई। इस साल आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को सुबह 8:41 बजे के बाद से शुरू हो रही है, तो पितृ पक्ष भी कल से ही शुरू है. पितृ पक्ष में किए जाने वाले तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि कर्म भी बुधवार से ही होंगे।
हिंदू धर्म में निर्णय सिंधु एक प्रमाणिक पुस्तक है, जिसमें सैकड़ों प्रश्नों का जवाब दिया गया है। उसके अनुसार पितरों के लिए निर्धारित पितृ पक्ष आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष शुरू ही नहीं होता है, तो इसके 17 सितंबर से प्रारंभ होने की बात ही गलत है। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को शुरु हो रही है, इसलिए पितृ पक्ष भी उस दिन से ही शुरू होगा। जो लोग आज से पितृ पक्ष का प्रारंभ बता रहे हैं, वह शास्त्र सम्मत नहीं माना जा सकता है।
आश्विन अमावस्या पर होगा पूर्णिमा का श्राद्ध
ज्योतिषाचार्य भट्ट और ज्योतिषाचार्य पांडेय दोनों का ही कहना है कि जिन लोगों के पितरों का निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ है, वे लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि आश्विन अमावस्या को करेंगे। इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना गया है। इस दिन ज्ञात और अज्ञात सभी तरह के पितरों का श्राद्ध होता है।
भाद्रपद पूर्णिमा पर करते हैं नाना का तर्पण
ज्योतिषाचार्य पांडेय के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि पर वे लोग अपने नाना का श्राद्ध, तर्पण आदि कर सकते हैं, जो उनके लिए पहले से करते आ रहे हैं।
कब करें श्राद्ध?
“मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत” इसके अनुसार श्राद्ध का कार्य व्यक्ति को दोपहर के समय में ही करना चाहिए। इस वजह से पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध आदि 11:30 बजे से दोपहर 03:30 बजे तक कर लिया जाता है।
पितृ पक्ष 2024 की तिथियांपितृ पक्ष का प्रारंभ 18 सितंबर बुधवार से हो रहा है. वहीं पितृ पक्ष का समापन 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा. उस दिन पितृ विसर्जन होगा.
प्रतिपदा का श्राद्ध: 18 सितंबरद्वितीया का श्राद्ध: 19 सितंबरतृतीया का श्राद्ध: 20 सितंबरचतुर्थी का श्राद्ध: 21 सितंबरपंचमी का श्राद्ध: 22 सितंबरषष्ठी का श्राद्ध: 23 सितंबरसप्तमी का श्राद्ध: 24 सितंबरअष्टमी का श्राद्ध: 25 सितंबरनवमी का श्राद्ध: 26 सितंबरदशमी का श्राद्ध: 27 सितंबरएकादशी का श्राद्ध: 28 सितंबरद्वादशी का श्राद्ध: 29 सितंबरत्रयोदशी का श्राद्ध: 30 सितंबरचतुर्दशी का श्राद्ध: 1 अक्टूबरअमावस्या/पूर्णिमा का श्राद्ध: 2 अक्टूबर