Explore

Search

October 16, 2024 3:53 pm

IAS Coaching

नवरात्रि का पहला दिन:– माता शैलपुत्री का पूजन विधि, भोग, कलश स्थापना मुहूर्त, मंत्र, शुभ रंग जाने पूरी जानकारी।

धर्म। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के पूजन का विधान है। इस दिन कलश स्थापना भी की जाती है। जानें मां शैलपुत्री के पूजन मुहूर्त, पूजा विधि, शभ रंग, मंत्र व भोग समेत सभी जरूरी जानकारी-

नवरात्रि का पर्व हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो पूरी तरह से मां दुर्गा को समर्पित है। भक्त नौ दिन और नौ रात तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ अद्वितीय स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का पहला दिन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 3 अक्टूबर 2024 को है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। इस दिन ही कलश स्थापना या घट स्थापना भी की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि के पहले दिन होती है कलश या घट स्थापना-

भक्त सबसे पहले नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि में घटस्थापना या कलश स्थापना करते हैं और मां दुर्गा से जीवन में मंगल होने की कामना करते हैं।

प्रतिपदा तिथि कब से कब तक – द्रिक पंचांग के

अनुसार, प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 18 मिनट पर प्रारंभ होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 04 अक्टूबर 2024 को सुबह 02 बजकर 58 मिनट पर होगा।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त-घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 06:14 ए एम से 07:21 ए एम तक रहेगा।

मां शैलपुत्री विधि पूजन विधि

मां शैलपुत्री की पूजन का विधान है। माता शैलपुत्री को हिमालय पुत्री होने के कारण इस नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर सा अगला वस्त्र धारण करें। अब एक चौकी लें और उसे गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें। अब मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें। माता रानी के सामने धूप, दीप व घी का दीपक जलाएं। माता रानी को भोग लगाएं। इसके बाद मां शैलपुत्री की आरती उतारें। फिर कथा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

नवरात्रि के पहले दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त – 04:37 ए एम से 05:26 ए एम

प्रातः सन्ध्या- 05:01 ए एम से 06:14 ए एम

अमृत काल- 08:45 ए एम से 10:33 ए एम

अभिजित मुहूर्त- 11:45 ए एम से 12:33 पी एम

विजय मुहूर्त- 02:07 पी एम से 02:54 पी एम

नवरात्रि के पहले दिन का शुभ रंग- मां शैलपुत्री को लाल रंग अतिप्रिय है। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन पूजन में लाल रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। मां शैलपुत्री प्रसाद भोग- मां शैलपुत्री की सवारी गाय है। इसलिए उन्हें गाय के दूध से बनी चीजों का भोग लगाना शुभ माना गया है। मां शैलपुत्री को आप खीर या दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगा सकते हैं।

मां शैलपुत्री बीज मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्रीरू पेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

मां शैलपुत्री मंत्र

1. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम।

2. वन्देवांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

मां शैलपुत्री की कथा-

शैलपुत्री को देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम माना गया है। हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण देवी का नाम शैलपुत्री पड़ा। कथा के अनुसार दक्ष प्रजापति यज्ञ का आयोजन किया। उसमें समस्त देवताओं को आमंत्रित किया किंतु भगवान शिव को नहीं बुलाया। सती यज्ञ में जाने के लिए आतुर हो उठीं। भगवान शिव ने पुर बिना निमंत्रण यज्ञ में जाने से मना किया लेकिन सती के प्रबल आग्रह पर उन्होंने अनुमति दे दी। वहां जाने पर का अपमान हुआ। इससे दुखी होकर सती ने स्वयं को यज्ञाग्नि में भस्म कर लिया। तब भगवान शिव ने क्रोधित होकर यज्ञ को तहस नहस कर दिया। वही अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। काशी खंड में इनका स्थान मढ़िया घाट बताया गया है जो वर्तमान में अलईपुर छेत्र में है।

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
AI Tools Indexer