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February 6, 2025 12:35 am

आइए जानते है क्यों की है मां चंद्रघंटा की पूजा? जानें विधि आरती, महत्व, एवं मंत्र। 

नवरात्रि। 5 अक्टूबर को मां दुर्गा की तीसरी शक्ति देवी चंद्रघंटा की उपासना होगी। माता के इस स्वरूप की पूजा से भय, रोग दूर होते हैं। जानें चंद्रघंटा माता की पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र, आरती।

हिंदू धर्म में, चंद्रघंटा देवी महादेवी का तीसरा नवदुर्गा रूप है। मां चंद्रघंटा की पूजा 5 अक्टूबर 2024 शनिवार को की जाएगी। देवी चंद्रघंटा की तीसरी आंख हमेशा खुली रहती है, जो बुराई के खिलाफ लड़ाई के लिए उनकी निरंतर तत्परता को दर्शाती है।

मां की पूजा से सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इससे स्पष्टता, आत्मविश्वास और सही निर्णय लेने की योग्यता जैसे मणियों सरीखे गुण प्राप्त होते हैं। जानें शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त, मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र, कथा आदि।

शारदीय नवरात्रि 2024 तीसरे दिन का मुहूर्त 

सुबह 07.44 – सुबह 09.13

दोपहर 12.09 – दोपहर 01.37

मां चंद्रघंटा का स्वरूप

देवी के इस चंद्रघंटा स्वरूप का वाहन सिंह है। इनके दस हाथ माने गए हैं और यह खड्ग आदि विभिन्न अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं।

मां चंद्रघंटा की पूजा का लाभ

मां चंद्रघंटा के उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है।

मां चंद्रघंटा को क्या पसंद है ?

शुभ रंग – स्लेटी रंग

प्रिय फूल – गुलाब

भोग – दूध से बनी मिठाई

पूजा विधि – मां चंद्रघंटा की पूजा में लाल गुडहल और गुलाब की माला अर्पण करें और प्रार्थना करते हुए मंत्र जप करें।

मां चंद्रघंटा का स्तोत्र मंत्र।

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।

अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।

धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।

सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

मां चंद्रघंटा की आरती। 

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥

चन्द्र समाज तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥

मन की मालक मन भाती हो। चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥

सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥

हर बुधवार को तुझे ध्याये। सन्मुख घी की ज्योत जलाये॥

श्रद्दा सहित तो विनय सुनाये। मूर्ति चन्द्र आकार बनाये॥

शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगत दाता॥

काँचीपुर स्थान तुम्हारा। कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥

नाम तेरा रटूँ महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी॥

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि भारत समाचार 24×7 किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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