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August 1, 2025 10:48 am

नवरात्रि का छठा दिन, जानें मां कात्यायनी की पूजा विधि,मंत्र,भोग,आरती और शुभ मुहूर्त।

नवरात्रि छठवा दिन।  नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. माना जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशहाली आती है।

नवरात्रि का 6वां दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है। माता इस रूप में भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का वरदान देती है। माना जाता है कि देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। शीघ्र विवाह, वैवाहिक जीवन में खुशहाली और दुश्मनों पर विजय पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अचूक मानी जाती है। मां कात्यायनी पूरे ब्रजमंडल की अधिष्ठदात्री देवी हैं। इनके आशीर्वाद से भक्त को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करना शुभ रहेगा।

मां कात्यायनी की पूजा विधि

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। इसके बाद कलश की पूजा करने के बाद हाथ में पुष्प लेकर मां दुर्गा और मां कात्यायनी की ध्यान कर पुष्प मां के चरणों में अर्पित करें। इसके बाद माता को अक्षत, कुमकुम, पुष्प और सोलह श्रृंगार अर्पित करे। उसके बाद मां कात्यायनी को उनका प्रिय भोग शहद, मिठाई अर्पित करें। मां को जल अर्पित कर दुर्गा चलिसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

मां कात्यायनी का भोग

मां कात्यायनी की पूजा में देवी को शहद या फिर शहद से बने हलवे का भोग लगाएं। धार्मिक मान्यता है इससे सौंदर्य में निखार आता है। वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और साथ ही धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है।

मां कात्यायनी प्रिय रंग।

मां दुर्गा के छठवें स्वरुप मां कात्यायनी का प्रिय रंग लाल है। यह रंग साहस और शक्ति प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल रंग धारण करना बेहद शुभ माना जाता है।

मां कात्यायनी के मंत्र जाप

पहला मंत्र

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

दूसरा मंत्र

ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,

नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

तीसरा मंत्र

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।

तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।

मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। भारत समाचार 24×7 इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

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