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October 16, 2024 5:54 am

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हर व्यक्ति अपना अगला जन्म स्वयं तय कर लेता है – पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज

रिपोर्ट– धर्मेंद्र कुमार सिंह।

अयोध्या। मनुष्य का जीवन तामसिक, राजसिक अथवा सात्विक भाव में ही विचरण करता है। जो जैसा जीवन जीता है उसके मन और चित्त की स्थिति वैसी रहती है। उस व्यक्ति के मन और चित्त की स्थिति से ही उसका अगला जन्म भी तय हो जाता है कि उसे अगले जन्म में कैसा घर और माहौल मिलेगा। उक्त बातें अयोध्या नगरी के परिक्रमा मार्ग के हनुमान गुफा के निकट निर्मित कथा मंडप में श्री राम कथा का गायन करते हुए सातवें दिन पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहीं।

सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए लोक ख्याति प्राप्त प्रेममूर्ति पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने बिहार में औरंगाबाद के दाउदनगर स्थित सूर्य मंदिर से जुड़ी समिति के पावन संकल्प से आयोजित नौ दिवसीय रामकथा गायन के क्रम में श्री सीताराम विवाह और भगवान की वन प्रदेश की मंगल यात्रा से जुड़े प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में प्रयास करना चाहिए की उसके मन और चित्त की स्थिति सत्व भाव में बनी रहे।

भगवान का भजन ना तो तामसिक और नहीं राजसिक भाव के लोगों से बन पाता है। भगवान का भजन करने के लिए तो सात्विक भाव होना ही चाहिए। भगवान के दर्शन, भजन और सेवा का व्रत बचपन से ही लेना होता है। बचपन और जवानी में अगर भजन का अनुभव अथवा अभ्यास नहीं रहा तो बुढ़ापे में भजन नहीं बन पाता है।

पूज्य श्री ने कहा कि सनातन धर्म और संस्कृति में मनुष्य के उम्र के हिसाब से कार्य करने की विधि तय की हुई है। बचपन खेल कूद और पढ़ाई के लिए युवा अवस्था तपने के लिए और 60 वर्ष से ऊपर की अवस्था परमार्थ यात्रा के लिए तय की गई है। मानव शरीर धारण करने वाले भगवान राम जी ने अपने विवाह के तुरंत बाद वन जाने की रचना स्वयं बनाई थी। वन जाने कि उनकी यह रचना धरती पर व्याप्त आसुरी शक्तियों को धरती से विदा करने के लिए ही थी।

भगवान राम जी के जीवन से हमें यही शिक्षा मिलती है कि बिना तपस्या के कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। मनुष्य को अपने जीवन में अगर कुछ चाहिए तो उसे तपना होगा। जब हमारी पीढ़ी में कोई तप करता है तो हमें कुछ प्राप्त होता है और जब कई पीढ़ियां तप करती चली जाती हैं तब राष्ट्र और समाज के लिए कुछ विशेष प्राप्त होता है।

महाराज श्री ने कहा कि आज भी आसुरी शक्तियां भारत के विभिन्न भागों में सक्रिय हैं और यह हमारा सौभाग्य है कि आज हमारे पास भागवत प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री हैं। हमारे इन नेताओं से आसुरी शक्तियां भय खाती हैं और आसुरी शक्तियों का समुचित इलाज भी किया जा रहा है।

महाराज श्री ने कहा कि भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष तक वन में तप कर जिस प्रकार से अपने साम्राज्य को आसुरी शक्तियों से मुक्त कर लिया, वह आज की युवा पीढ़ी के लिए एक उदाहरण है। जो व्यक्ति युवा अवस्था में तपता है, वही जीवन में आगे जाकर पूरी तरह सफल हो पाता है। ठीक इसी प्रकार बच्चों को खेलते खेलते पढ़ाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

महाराज जी ने श्रीराम के वन गमन की कथा गाते हुए कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। हजारों की संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी भजनों का आनन्द लेते और झूमते नजर आए।

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