बसंत पंचमी। हिंदू धर्म में सरस्वती माता को संगीत, कला, वाणी और ज्ञान की देवी कहा जाता है, उनकी पूजा से व्यक्ति की बुद्धि का विकास और जीवन में खुशियों का वास होता है। मान्यता है कि रोजाना संगीत की देवी सरस्वती माता की उपासना करने से साधक के भाग्य में वृद्धि होती है, और उसके कला कौशल में भी निखार आता है। परंतु विशेष कृपा प्राप्ति के लिए वसंत पंचमी का दिन सबसे उत्तम है। कहते हैं कि इस तिथि पर देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं, इसलिए सभी धार्मिक व शिक्षा संस्थानों में सरस्वती पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। इस पर्व की खास रौनक बनारस के घाट और पतंगों से भरे गुजरात में देखने को मिलती हैं। इस साल 2 फरवरी 2025 रविवार के दिन वसंत पंचमी मनाई जा रही है। इस तिथि पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो पूजा के लिए बेहद शुभ है। इस दौरान पूजा हमेशा संपूर्ण सामग्री से करनी चाहिए, इससे देवी प्रसन्न होती हैं। ऐसे में आइए सरस्वती पूजा की संपूर्ण समग्री के बारे में जानते हैं।
सरस्वती पूजा की सामग्री
- सरस्वती माता की तस्वीर
- गणेश जी की मूर्ति
- चौकी
- पीला वस्त्र
- पीले रंग की साड़ी
- माला
- पीले रंग का गुलाल
- रोली
- एक कलश
- सुपारी
- पान का पत्ता
- अगरबत्ती
- आम के पत्ते
- धूप व गाय का घी भी शामिल करें
- कपूर
- दीपक
- हल्दी
- तुलसी पत्ता
- रक्षा सूत्र
- भोग के लिए मालपुआ
- खीर
- बेसन के लड्डू
- चंदन
- अक्षत
- दूर्वा
- गंगाजल
- फूल माला
ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
🔴 बसंत पंचमी के दिन स्नान के बाद पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
🔴 मां सरस्वती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। गंगाजल से उन्हें स्नान कराएं।
🔴 मां सरवती के समक्ष धूप-दीप, अगरबत्ती जलाएं और उनका ध्यान करें।
🔴 पूजा आसन पर बैठकर ही करें। बिना आसन की पूजा व्यर्थ मानी जाती है।
🔴 मां सरस्वती को तिलक लगाएं और उन्हें माला पहनाएं।
🔴 मां सरस्वती को मिठाई और फलों का भोग लगाएं।
🔴 मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती उतारें।
संकल्प मंत्र
यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।
स्नान मंत्र
ॐ त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:।
ध्यान मंत्र
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
बीज मंत्र
ॐ सरस्वत्ये नमः।।
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