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March 11, 2025 8:57 am

आईए जानते हैं कब है रंगभरी एकादशी और आखिर क्यों करते हैं इस दिन आवले के पेड़ की पूजा।

रंगभरी एकादशी। रंगभरी एकादशी बेहद शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। इस साल यह व्रत फाल्गुन महीने में 10 मार्च को रखा जाएगा। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु और शिव जी की कृपा सदैव के लिए मिलती है। इसके अलावा इस मौके पर आंवले के पेड़ की पूजा भी बहुत कल्याणकारी मानी जाती है।

रंगभरी एकादशी हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एक ऐसी दुर्लभ तिथि है, जब भक्त भगवान विष्णु के साथ शिव जी और माता पार्वती की पूजा करते हैं। इसके अलावा इस मौके पर आंवले के पेड़ की पूजा भी होती है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, रंगभरी एकादशी का संबंध रंगों से जुड़ा हुआ है और इस एकादशी में पूजा के दौरान रंग और गुलाल जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। वहीं, इस बार ये कब मनाई जाएगी? आइए इसकी डेट जानते हैं।

रंगभरी एकादशी 2025 कब है? 

वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 09 मार्च को सुबह 07 बजकर 45 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में 10 मार्च को रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी। इसके अलावा इसका पारण 11 मार्च को सुबह 06 बजकर 35 मिनट से 08 बजकर 13 मिनट के बीच किया जाएगा।

आंवले के पेड़ की पूजा का महत्व

रंगभरी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है। यही वजह है कि इसे आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। एक बार माता लक्ष्मी धरती लोक पर भ्रमण कर रही थी। उनके मन में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करने का विचार आया, लेकिन विष्णु जी की पूजा में तुलसी पत्र का उपयोग होता है और भोलेनाथ की आराधना बिल्व पत्र से होती।

इस बाते से वे बड़ी असमंजस थी कि दोनों की पूजा एक साथ कैसे की जाए? तब देवी को याद आया कि आंवले के पेड़ में तुलसी और बेल दोनों के गुण एक साथ पाए जाते हैं, तब उन्होंने आंवले के पेड़ को नारायण और भगवान शिव का स्वरूप मानकर विधिपूर्वक पूजा की।

इस पूजा से उन्हें शिव जी और श्री हरि की कृपा प्राप्त हुई और तभी से हिंदू धर्म में आंवले के पेड़ की पूजा की जाने लगी। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस पेड़ की पूजा रंगभरी एकादशी के दिन करते हैं, उन्हें धन, ऐश्वर्य समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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