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March 14, 2025 6:22 pm

नवरात्रि का दूसरा दिन आज आइए जानते है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, मंत्र, भोग, आरती और महत्व।

नवरात्रि। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में मां दुर्गा के इस स्वरूप को भक्तों के लिए अनंत फलदायी बताया गया है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से जीवन में त्याग, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती के बारे में।

नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। उनके नाम में ही उनकी शक्तियों की महिमा का वर्णन मिलता है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली। अर्थात कठोर तप और ब्रह्म में लीन रहने के वजह से इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है। मान्यता है कि मां दुर्गा के इस स्वरुप की पूजा करने से तप, त्याग, संयम, सदाचार आदि की वृद्धि होती है।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा तिथि और मुहूर्त

वैदिक पंचाग के अनुसार, नवरात्रि की द्वितीया तिथि की शुरुआत 4 अक्टूबर 02 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगी और तिथि का समापन 5 अक्टूबर 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। मां ब्रहमचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त पर उठकर स्नान कर लें। पूजा करने के लिए सबसे पहले आसन बिछाएं इसके बाद आसन पर बैठकर मां की पूजा करें। माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। ब्रह्मचारिणी मां को भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। फिर देवी ब्रह्मचारिणी मां के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें।

मां ब्रह्माचारिणी पूजा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्माचारिणी का भोग

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि चीनी के भोग से व्यक्ति को लंबी आयु प्राप्त होती है और रोगो से छुटकारा मिलता है।

आरती मां ब्रह्माचारिणी माता 

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।।

जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।।

कमी कोई रहने न पाए। कोई दुख सहने न पाए।।

उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।।

रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।।

आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा का महत्व

मां दुर्गा के इस स्वरूप को अनंत फल देने वाला माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान बढ़ता है और सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। माता ब्रह्मचारिणी ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखती हैं और आशीर्वाद देती हैं। मान्यता है कि माता के आशीर्वाद से हर कार्य पूरे हो जाते हैं और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। माता की आराधना करने से जीवन में संयम, बल, सात्विक, आत्मविश्वास की बढ़ता है। माता की शक्ति के प्रभाव से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं और जीवन में उत्साह व उमंग के साथ-साथ धैर्य व साहस का समावेश होता है।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। भारत समाचार 24×7 सकी पुष्टि नहीं करता है।

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