Explore

Search

February 5, 2025 11:28 am

नवरात्रि का चौथा दिन:– जाने मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त, भोग, मंत्र, महत्व और आरती।

नवरात्रि 4th डे। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कुष्मांड़ा की पूजा की जाती है। मान्याता है कि इस दिन मां कुष्मांड़ा की पूजा करने से व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं मां कुष्मांडा की पूजा मुहूर्त, विधि, आरती, मंत्र जाप और उनके प्रिय भोग के बारे में।

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं, माता के तेज से ही सभी दिशाओं में प्रकाश होता है। अन्य कोई भी देवी देवता इनके तेज और प्रभाव का सामना नहीं कर सकता। मा कुष्मांडा अष्टभुजा वाली देवी हैं, इनके सात हाथों में कमण्डलु, धनुष, बाण, कमलपुष्प, अमृतपूर्ण कलश ,चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां कुष्मांड़ा की पूजा करने से व्यक्ति का बुद्धि और विवेक बढ़ता है।

मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।

मां कुष्मांडा का पूजा विधि 

मां कुष्मांडा की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान कर मंदिर की साज सज्जा करें। उसके बाद मां कुष्मांडा का ध्यान कर कुमकुम, मौली, अक्षत, लाल रंग के फूल, फल, पान के पत्ते, केसर और शृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाएं। साथ ही यदि सफेद कुम्हड़ा या उसके फूल है तो उन्हें मातारानी को अर्पित कर दें। फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें।

मां कुष्मांडा का भोग 

मां कुष्मांडा को कुम्हरा यानी के पेठा सबसे प्रिय है। इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना चाहिए। इसलिए आप पेठे की मिठाई भी मां कुष्मांडा को आर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा हलवा, मीठा दही या मालपुए का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद मां कुष्मांडा के प्रसाद को स्वयं भी ग्रहण करे और लोगों में भी वितरित कर सकते हैं।

मां कुष्मांडा पूजा मंत्र

सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।

भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।

ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥

मां कूष्मांडा की प्रार्थना मंत्र

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कूष्मांडा बीज मंत्र

ऐं ह्री देव्यै नम:।

मां कुष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

मां कुष्मांडा पूजा का महत्व

मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा आर्चना करने से परिवार में सुख समृद्धि आती है और मां संकटों से रक्षा करती हैं। अगर आविवाहित लड़कियां मां की श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करती हैं तो उन्हें मानचाहे वर की प्राप्ति होती है और सुहागन स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा देवी कुष्मांडा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। भारत समाचार 24×7 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Leave a Comment

Advertisement
Pelli Poola Jada Accessories
लाइव क्रिकेट स्कोर
Buzz4ai