अयोध्या। जिले में पिछले पाँच महीनों में 175 बाल विवाह रोकने वाले गैर-सरकारी संगठन अपराजिता सामाजिक समिति ने कहा है कि इस अभियान से बाल विवाह के उन्मूलन की लड़ाई को नई गति मिलेगी। रैली में बाल विवाह पीड़िताओं, सरकारी अधिकारियों, पंचायत प्रतिनिधियों और शिक्षकों सहित बड़ी संख्या में आम लोगों ने भाग लिया और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली। विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों और मौलवियों सहित धार्मिक नेताओं, हलवाइयों, बैंड बाजा वालों और अन्य सभी हितधारकों ने इस अभियान का समर्थन किया। अपराजिता सामाजिक समिति बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे 250 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों के गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ का सहयोगी संगठन है।
भारत सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के आह्वान के समर्थन में गैरसरकारी संगठन अपराजिता ने अयोध्या में बाल विवाह के खिलाफ लगभग 70 जागरूकता व शपथ ग्रहण कार्यक्रमों का आयोजन किया जिसमें समाज के हर तबके के लोग शामिल हुए। इस दौरान मशाल जुलूस और कैंडल मार्च में बाल विवाह पीड़िताओं, महिलाओं, बच्चों व पुरुषों सहित लगभग 1 लाख लोगों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली और जागरूकता के प्रसार के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी की। इस दौरान पुरोहितों, मौलवियों, हलवाइयों, रसोइयों, सजावट, बैंड बाजा वालों व शादी का कार्ड छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों जैसे विवाह से जुड़े सभी हितधारकों ने शपथ ली कि वे बाल विवाह संपन्न कराने में किसी भी तरह से भागीदारी नहीं करेंगे और इसकी सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों को देंगे। अपराजिता 250 से भी अधिक अग्रणी गैरसरकारी संगठनों के देशव्यापी गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (जेआरसी) का सहयोगी है जो जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए काम कर रहा है। अपराजिता ने स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग व समन्वय से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को समझा-बुझा कर अकेले 2023-24 में ही जिले में 175 बाल विवाह रुकवाए हैं।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा शुरू किए गए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान का पुरजोर समर्थन करते हुए गैरसरकारी संगठन अपराजिता सामाजिक समिति के निदेशक किरन बैस ने कहा, “यह अभियान हमारे विकसित भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। देश की बच्चियों को शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाए बिना हम इस सपने को पूरा नहीं कर सकते और बाल विवाह इसमें सबसे बड़ी बाधा है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए सभी पक्षों को साथ लेकर चलने और बचाव-संरक्षण एवं अभियोजन नीति पर अमल के मंत्रालय के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं। ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ का सहयोगी संगठन होने के नाते हम पहले से ही इस रणनीति पर काम करते आ रहे हैं। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हमने इस जिले में जो अभियान शुरू किया था, वह अब राष्ट्रव्यापी अभियान बन गया है।”
इस राष्ट्रव्यापी अभियान का समर्थन करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “हमने जब यह अभियान शुरू किया था तो यह समस्या को उसकी जड़ से मिटाने के लिए बाल विवाह की ऊंची दर वाले राज्यों पर केंद्रित एक लक्षित प्रयास था। एक सुविचारित दृष्टि और रणनीति के साथ शुरू हुआ यह अभियान अब राष्ट्रव्यापी शक्ल ले चुका है और आज देश सदियों से देश में जड़ें जमाए बैठी इस कुप्रथा के खात्मे के लिए एकजुट है। जिसने भी भारत की बेटियों की पुकार सुनी, उनकी आवाज उठाई और बाल विवाह मुक्त भविष्य के सपने की ओर बढ़ने में मदद की, हम उन सभी को धन्यवाद देते हैं।”
अपराजिता सामाजिक समिति 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के देशव्यापी गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है जो देश में बाल सुरक्षा तंत्र को मजबूती प्रदान करने व बाल अधिकारों के सुरक्षा व संरक्षण के प्रोत्साहन के लिए कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम में मौजूद एक बाल विवाह पीड़िता रेशू यादव ने इस अपराध के खात्मे के लिए सरकार के संकल्प पर संतोष जताते हुए इस मौके पर कहा, “ उनकी मा का विवाह बचपन मे ही हो गया था और कुछ व्यक्त बाद उनके पिता ने उनकी माता को छपद दिया और तब तक रेशू का जन्म हो चुका था रेशू की मा की शादी जबरन कहीं और करवा दी गई रेशू का पालन पोषण उनके मामा ने किया थोड़ा बड़ा हो जाने के बाद रेशू का भार उतारने के लिए उसके मामा ने उसकी शादी तय कर दी किन्तु तभी उनकी मुलाकात कविता जी से हुई जो अपराजिता सामाजिक समिति मे डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डनैटर हैं कविता ने उनके मामा जल्दी शादी कर रहे थे कविता ने उनको समझा बुझा कर शादी रुकवा कर उसको एक नया जीवन दिया आज मै अच्छे से पढ़ाई कर रही हूँ और आगे चल कर एक बड़ी अधिकारी बनना चाहती हूँ।”
बाल विवाह के खिलाफ यह सामूहिक लामबंदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के आह्वान के समर्थन में हुई जिसकी शुरुआत 27 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने की थी। दौरान उन्होंने पंचायतों और स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई और उम्मीद की इस जा रही है कि जल्दी ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जाएगी।