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October 15, 2024 3:35 am

IAS Coaching

आनुवांशिक पृष्ठभूमि में बढ़ोतरी का प्रयास करें वैज्ञानिक 

अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधानकर्ताओं की 63वीं अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ समापन। 

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधानकर्ताओं की 63वीं अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का शुक्रवार को समापन हो गया। समापन समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ टी. आर. शर्मा मौजूद रहे। अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने की। तीन दिनों तक चले इस सत्र में विभिन्न विभागों, फसल सुधार, फसल सुरक्षा, गुणवत्ता व मूलभूत विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, जौ नेटवर्क की मुख्य अनुशंसाओं एवं अगले वर्ष के लिए कार्ययोजना के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गई। इस अवसर पर सेवानिवृत्त हो रहे गेहूं एवं जौ वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। डीजी डॉ टी आर शर्मा ने विभिन्न महाविद्यालय का निरीक्षण किया और प्रसन्नता जताई।

इस मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डा. टी.आर शर्मा ने कहा कि गेहूं की उन्नत किस्मों की आनुवांशिक पृष्ठभूमि सिकुड़ती जा रही है, जिसमें बढ़ोतरी की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपील किया कि वे आनुवांशिक पृष्ठभूमि में बढ़ोतरी करने का प्रयास करें। उन्होंने निगरानी समूह एवं समन्वय केंद्रों को निर्देश देते हुए कहा कि वे परीक्षणों का उचित प्रकार से अवलोकन करें तथा डाटाबेस तैयार करें। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान के डेटाबेस को आईसीएआर से जोड़ा जाना चाहिए। सीजी सेंटर के सहयोग को देखते हुए इनको वित्तीय सहायता प्रदान की जाए ताकि हमारे वैज्ञानिकों को अच्छा प्रशिक्षण व उच्च गुणवत्ता की अनुवांशिक मेटेरियल प्राप्त हो सके। उन्होंने विश्वविद्यालय के क्लीन एंड ग्रीन कैंपस पर खुशी जाहिर की। कहा कि विवि ने बहुत तेजी के साथ प्रगति की है। कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए उन्होंने कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह को बधाई दी।

कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में बहुत जल्द विश्वविद्यालय गेहूं एवं जौ की जलवायु अनुकूल व उच्च उत्पादकता एवं गुणवत्तायुक्त प्रजातियां विकसित करेगा। इससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी। उन्होंने वैज्ञानिकों और किसानों को जौ की पैदावार बढ़ाने एवं उसके खाने में उपयोग करने का आह्वान किया। कुलपति ने संरक्षित खेती को भी अपनाने का आह्वान किया।

संस्थान के निदेशक डॉ रतन तिवारी ने गेहूं एवं जौ की कार्यशाला को आयोजित कराने के लिए अगले सेंटर पर चर्चा की। कार्यक्रम के अंत में आयोजक सचिव डॉ चंद्र नाथ मिश्र ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कृषि महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. प्रतिभा सिंह के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कृषि विश्वविद्यालय में देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। डा. नवाज खान के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं ने नृत्य, नाट्य, भजन एवं गायन के जरिए समस्त अतिथियों को अयोध्या की संस्कृति से परिचित कराया। डा. वी.के पाल ने बताया कि कार्यक्रम की शुरूआत शंकर भगवान के भजन से हुई।

अयोध्या की संस्कृति को प्रभु राम जी के जीवन परिचय पर रामायण नृत्य और श्रीकृष्ण एवं राधा जी के प्रेम प्रसंग पर भी छात्र-छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुत कर मन मोह लिया। बच्चों ने भजन पर आधारित गायन कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। छात्रों में आदिथ्या, दीपा, पुष्पा, श्रेयम, अनुपमा, खुशी, उन्मेषा, निष्ठा एवं रोहन आदि छात्रों ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

यह रहीं कार्यशाला की मुख्य बातें

प्री ब्रीडिंग प्रोग्राम को अधिक प्रभावी बनाना, जलवायु अनुकूल प्रजातियां विकसित करना एवं उन्नत किस्मों का परीक्षण करना, जल उपयोग दक्षता बढ़ाना, खरपतवार नियंत्रण, उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ाने व संरक्षित खेती पर आगामी परीक्षण करना आदि रही। जिससे की किसानों को भरपूर पैदावार प्राप्त हो सके।

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