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January 14, 2025 4:02 pm

आज नवरात्रि का पांचवां दिन:– जाने मां स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त, आरती, महत्व और भोग। 

नवरात्रि 5th day:– नवरात्रि का पांचवे दिन मां स्कंद माता की पूजा की जाती है। ये मां दुर्गा का पांचवा रूप है। मान्यता है कि देवी स्कंदमाता की पूजा करने से व्यक्ति संतान सुख की प्राप्ति होती है। आइए नवरात्रि के पांचवे दिन जानते हैं स्कंद माता की संपूर्ण पूजा विधि, भोग, आरती और मंत्र जाप के बारे में।

नवरात्रि के दौरान भक्त मां दुर्गा का आराधना में लीन रहते हैं। नवरात्रि के हर दिन मां दुर्गा के स्वरुपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। मां के स्वरुप की बात करें तो मान्यता के अनुसार, स्कंदमाता चार भुजाओं वाली हैं, माता अपने दो हाथों में कमल का फूल लिए दिखती हैं। एक हाथ में स्कंदजी बालरूप में बैठे हैं और दूसरे से माता तीर को संभाले हैं। मां स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है। स्कंदमाता का वाहन सिंह है। शेर पर सवार होकर माता दुर्गा अपने पांचवें स्वरुप स्कन्दमाता के रुप में भक्तजनों के कल्याण करती हैं।

मां स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के अनुसार, मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

 स्कंदमाता की पूजा विधि

नवरात्रि के पांचवे दिन सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थान में चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्के डालें और उसे चौकी पर रखें। अब पूजा का संकल्प लें।

इसके बाद स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाकर नैवेद्य अर्पित करें। अब धूप-दीपक से मां की आरती और मंत्र जाप करें। स्कंद माता को सफेद रंग बहुत प्रिय है। इसलिए भक्त सफेद रंग के कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां सदा निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं।

स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्कंदमाता की आरती 

जय तेरी हो स्कंदमाता। पांचवा नाम तुम्हारा आता।।

सब के मन की जानन हारी। जग जननी सब की महतारी।।

तेरी ज्योत जलाता रहू में। हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै।।

कई नामो से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा।।

कही पहाड़ो पर है डेरा। कई शेहरो मै तेरा बसेरा।।

हर मंदिर मै तेरे नजारे। गुण गाये तेरे भगत प्यारे।।

भगति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।

इन्दर आदी देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये। तुम ही खंडा हाथ उठाये।।

दासो को सदा बचाने आई। चमन की आस पुजाने आई।।

जय तेरी हो स्कंदमाता।।

स्कंदमाता की पूजा का महत्व

मान्यता है कि नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा करने से जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो, उनकी इच्छा माता पूरी करती हैं। आदिशक्ति का यह स्वरूप संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण करनेवाला माना गया है। स्कंदमाता की पूजा में कुमार कार्तिकेय का होना जरूरी माना गया है। मां की कृपा से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पारिवारिक शांति की बनी रहती है।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। भारत समाचार 24×7 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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