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January 18, 2025 10:47 pm

चित्रकूट से सैकड़ों संतधर्माचार्य और स्थानीय रामभक्त पदयात्रा करते देर शांयकाल पहुचे अयोध्या।

अयोध्या। चित्रकूट से सैकड़ों संतधर्माचार्य और स्थानीय रामभक्त पदयात्रा करते देर शांयकाल पहुचे अयोध्या धाम के कारसेवकपुरम्। चित्रकूट बांदा संकटमोचन मंदिर में विगत छ: दिसंबर दो हजार नौ में अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिये श्रीराम नाम संकीर्तन मंडल बांदा के संयोजक भोले बाबा के संयोजन में प्रारंभ हुआ था।

जो गुरुवार को सैकड़ो भक्तों के साथ अयोध्या पहुंचे। इस दौरान उमेशचंद्र पोरवाल,शरद शर्मा, अभिषेक ,रजनीश कुमार, प्रदीप”गुलशन” आदि ने कारसेवकपुरम् में पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। संकीर्तन यात्रा में महंत कृष्णनंद भूरीवाले बाबा पंजाब,कामता सिंह, अवधेश वाजपेयी, कल्लू विश्वकर्मा,गयाशरण, सहित सैकड़ भक्त समलित थे। श्रीरामनाम संकीर्तन मंडली और पद यात्रा के संयोजक भोलेबाबा ने बताया कि,

नाम संकीर्तन परिवार ने 6 दिसंबर 2009 को संकट मोचनहनुमान मंदिर चित्रकूट में रामलला के अनंय भक्त हनुमानजी को साक्षी मानकर कीर्तन बैठाया था ताकि राम लला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हों और, सारी बाधाएं दूर हों जाय,देश के अनेक भक्तों और संतों ने इस पवित्र लक्ष्य और संकल्प की सिद्धि हेतु अपने प्राणोत्सर्ग तक कर दिये तब जाकर हमारे प्रभु अपने मूल स्थान पर विराजमान हुये हैं। हम सभी भक्त भी उसी संकल्प के अनुगामी हैं। लगातार पंद्रह वर्षों तक अनवरत चले अखंड संकीर्तन की पूर्णाहुति आज हुई है।

उन्हों ने बताया विगत पंद्रह दिन पूर्व छः दिसम्बर को हम चित्रकूट धाम सें नंगेपाव नगर भम्रण करते हुए अयोध्या धाम के लिये प्रस्थान किया था,मार्ग विभिन्न पड़ावों पर रूकते हुये आज पहुंचे हैं। प्रातःसरयू स्नान करके रामलला का दर्शन करने के साथ यात्रा संपन्न हो जायेगी। महंत कृष्णनंद दास भूरी वाले बाबा ने कहा यह देश सनातन परंपराओं को मानने वाला है,धार्मिक अनुष्ठान से संकल्प की सिद्धि होती है। श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति भी अनुष्ठान और त्याग तपश्या से निर्मित हो रही है।

कलयुग में नामसंकीर्तन से मनुष्य भवसागर से पार उतर जाता है साथ ही उसे पवित्र लक्ष्य भी प्राप्त होते हैं। यंहा तो हनुमानजी जी को को रामनाम संकीर्तन सुनाकर भगवान राम लला के मंदिर में आने वाली बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना की गयी है।जिसे हनुमानजी ने सुना और बाधाओं को दूर कर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रसस्त किया।

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